सोलह साल बाद खत्म हुआ रामवृक्ष का वनवास, हत्या के मामले में जेल से छूटे

अजीत पार्थ न्यूज संवाद संतकबीरनगर

 जनपदके सपाइयों एवं पूर्व जिलाध्यक्ष रामवृक्ष यादव के समर्थकों के लिए रविवार का दिन बेहद खास रहा। तकरीबन 16 साल जेल मे कैद रहे रामवृक्ष यादव जब रिहा हुए तब उनके सैकड़ों समर्थकों और सपाइयों ने जेल परिसर मे फूल मालाओ से लाद उनका भव्य स्वागत किये। 

उल्लेखनीय है कि वर्ष 1980 मे सक्रिय राजनीति मे आने के पहले रामवृक्ष यादव छात्र राजनीति की भट्ठी मे तपकर कभी जिला मुख्यालय स्थित हीरालाल राम निवास पीजी कॉलेज के छात्र संघ अध्यक्ष बने थे। इसी दौरान जनता दल से जुड़कर सक्रिय राजनीति मे प्रवेश करने वाले रामवृक्ष को जब सपा सुप्रीमों मुलायम सिंह यादव का सानिध्य प्राप्त हुआ तब वह इलाके समेत पूर्वांचल में मुलायम सिंह के विचारों और उनकी नीतियों को लोगों के बीच बताते रहे। समय बीता और जब जनता दल से अलग होकर मुलायम सिंह नें समाजवादी पार्टी की नींव रखी तब बस्ती जिले से कटकर अलग हुए संतकबीरनगर जिले के जिलाध्यक्ष के रूप मे रामवृक्ष को बड़ी जिम्मेदारी मिली, स्वयं मुलायम सिंह भी रामवृक्ष यादव की प्रतिभा और नेतृत्व क्षमता से वाकिफ थे इसलिए उन्हे जिले का जिलाध्यक्ष बनाया।

जिलाध्यक्ष बनने के बाद रामवृक्ष यादव ने संगठन को मजबूत करते हुए पार्टी को बुलंदी पर पहुंचाया, पूर्व सांसद स्व0 भालचंद यादव की प्रथम जीत से लगायत पार्टी को हर स्तर पर मजबूत करने वाले रामवृक्ष के काले अध्याय की शुरुवात वर्ष 2005 मे हुई। तारीख थी 25 जुलाई, सीजन था पंचायती चुनाव का, गवंई राजनीति यानी प्रधानी के चुनाव मे ग्राम पंचायत तिघरा के राजस्व ग्राम मौर्य के निवासी महातम यादव की विवाद के दौरान हुई हत्या के मामले मे अभियुक्त बनाये गये रामवृक्ष यादव सजायाफ्ता की अवधि पूरी करने के बाद जब जिला कारागार से बाहर लौटे तब उनके समर्थकों और सपाइयों मे गजब का उत्साह व उमंग देखने को मिला। गौरतलब हो कि जिले के समाजवादी पार्टी के तत्कालीन जिलाध्यक्ष एवं पार्टी के कद्दावर नेता रहे रामवृक्ष यादव हत्या के आरोप में 15 साल से जेल की सलाखों के पीछे थे। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में योजित अपील में कोर्ट ने उन्हें निर्दोष बताते हुए रिहा करने का आदेश पारित किया। हाईकोर्ट के आदेश पर आज उन्हें जिला कारागार संतकबीरनगर से रिहा कर दिया गया। जेल से रिहा होने के बाद भावुक हुए रामवृक्ष यादव नें खुद को निर्दोष बताया और कहा कि सत्य की जीत हुई लेकिन उनका एक लंबा जीवन बर्बाद हो गया।
     उल्लेखनीय है कि वर्ष 2005 में हुए पंचायत चुनाव के दौरान 25 जुलाई 2005 को तत्कालीन जिलाध्यक्ष समाजवादी पार्टी रामवृक्ष यादव से अपने पैतृक गांव तिघरा थाना धनघटा स्थित पोलिंग बूथ पर प्रधान पद के प्रत्याशी रहे महातम यादव से विवाद हो गया था। विवाद के दौरान हुई फायरिंग में महातम यादव को गोली लगी और उनकी मृत्यु हो गई। इस घटना में रामवृक्ष यादव सहित कई लोग घायल भी हुए थे और केजीएमयू लखनऊ के ट्रामा सेंटर में भर्ती हुए थे। इस घटना में तत्कालीन सपा जिलाध्यक्ष रामवृक्ष यादव, उनके अंगरक्षक प्रेम सिंह, सुभाष, मनोज, रामपूजन यादव, हनुमान यादव तथा वीरेंद्र के विरुद्ध थाना धनघटा में हत्या का मुकदमा दर्ज कराया गया था। तत्कालीन बस्ती जनपद की सेशन कोर्ट ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी जिसके विरुद्ध अभियुक्तों ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपील योजित की थी। लंबे अंतराल बाद अपील की सुनवाई के बाद सपा नेता रामवृक्ष यादव सहित सभी अभियुक्तों को निर्दोष बताते हुए उच्च न्यायालय ने उन्हें रिहा करने का आदेश पारित किया है।
दबी जुबान से कुछ लोगों का कहना है कि रामवृक्ष का आगे बढ़ना एवं सत्ता में उनकी हनक का दबदबा होना तत्कालीन सांसद एवं रामवृक्ष के रिश्तेदार भालचंद्र यादव को रास नहीं आ रहा था। उक्त घटना में उनकी पर्दे के पीछे की भूमिका को रामवृक्ष के करीबी बखूबी जानते हैं, उनका कहना है कि मामले को उलझाने एवं रामवृक्ष को जेल भेजवाने में पूर्व सांसद की विशेष भूमिका थी। जेल जाने के बाद रामवृक्ष यादव जेल में ही बाकायदे केक मंगाकर तत्कालीन समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव का जन्मदिन मनाने पर प्रशासन की बहुत छिछलेदर हुई थी और इस घटना के बाद रामवृक्ष के बहुत से करीबियों नें उनसे कन्नी काट लिया था।

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